वर्दी पर जांच की आंच:टाइगर खाल तस्करी में अब एक आरक्षक भी जांच के घेरे में

उज्जैन में 21 जनवरी को टाइगर खाल की तस्करी में तीन तस्करों की गिरफ्तारी के 20 दिन बाद रतलाम में पदस्थ पुलिस के एक आरक्षक की भूमिका संदिग्ध हो गई है। आरक्षक का उज्जैन जेल में बंद तस्करों के साथ कनेक्शन सामने आया है। माना जा रहा है कि तस्करों का एक बड़ा नेटवर्क है जिसमें यह आरक्षक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वन्य जीवों की तस्करी से लेकर नकली नोट के धंधे में इसकी सक्रिय भूमिका होती है। करीब पांच साल पहले उज्जैन में हुई एक बहुचर्चित अपराध में यह आरक्षक आरोपी बना था और अपने एक रिश्तेदार के साथ जेल भी गया था। आरक्षक का तस्करों के साथ कनेक्शन सामने आते ही उज्जैन से लेकर रतलाम तक हड़कंप मच गया है।

फिलहाल, रतलाम एसपी गौरव तिवारी ने आरक्षक को फौरी तौर पर लाइन हाजिर कर दिया है। पूरे मामले की जांच के लिए एसडीओपी जावरा को तीन दिन के अंदर जांच रिपोर्ट देने को कहा है। एसपी रतलाम ने आरक्षक की पूरी कुंडली खंगालने के आदेश भी दे दिए हैं।

इधर, उज्जैन एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल ने भी खाल तस्करी कांड की नए सिरे से जांच कराने का फैसला लिया है। आरक्षक की भूमिका सामने आने के बाद माना जा रहा है कि जेल में बंद तस्कर तौसीब को दोबारा रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा सकती है। उज्जैन एसपी ने भी माना है कि आरक्षक की भूमिका संदिग्ध है। इसलिए वे पूरे मामले की फिर से जांच करा रहे हैं।

…..तो क्या एसपी को भी अंधेरे में रखा गया है

21 जनवरी की रात जब उज्जैन की चिमनगंज मंडी पुलिस ने सीएसपी पल्लवी शुक्ला के नेतृत्व में मालीपुरा स्थित एक होटल में दबिश दी थी तो वहां से सेठी नगर निवासी राजेश ज्ञानचंदानी और केडी गेट बोहरा बाखल निवासी शब्बीर टाइगर की खाल के साथ पकड़े गए थे। भास्कर ने तब लिखा था कि तस्करों के पास से पुलिस ने टाइगर की तीन खाल बरामद की है लेकिन अगले दिन एसपी शुक्ल ने जब प्रेसवार्ता की तो बताया कि तस्करों से सिर्फ एक खाल ही बरामद हुई है। अब, चिमनगंज थाने के अधिकारियों ने बताया कि टाइगर की दो और खाल की बरामदगी में उनकी टीम लगी है। इधर, एसपी ने कहा कि मुझे दो खालों के बारे में नहीं पता है। मुझे तो सिर्फ एक ही खाल के बारे में बताया गया है।

तस्करों से कनेक्शन मामले में आरक्षक की दो सिमकार्डों की जांच

तस्करों से कनेक्शन को खंगालने के लिए उज्जैन एसपी आरक्षक के दो सिमकार्डों की जांच करवा रहे हैं। जिसमें से एक सिम कार्ड आरक्षक के नाम रजिस्टर्ड है। इसकी कॉल डिटेल आ चुकी है। दूसरा सिमकार्ड किसी अन्य के नाम से रजिस्टर्ड है लेकिन इसका इस्तेमाल आरक्षक करता है। दूसरे वाले सिमकार्ड की कॉल डिटेल आना बाकी है। यह बात भी सामने आई है कि 1 से 16 जनवरी के बीच तस्कर और आरक्षक के बीच कई बार बात हुई है। उज्जैन एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल ने बताया कि जिस पुलिस आरक्षक की संदिग्ध भूमिका खाल तस्कर तौसीब के साथ बताई गई है उसके दो सिमकार्डों की कॉल डिटेल चेक करवा रहे हैं। एक की डिटेल आ चुकी है। हांलाकि एसपी शुक्ल भी मान रहे हैं कि उनके विश्वसनीय सूत्र आरक्षक की भूमिका को इस मामले में संदिग्ध बता रहे हैं।

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